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Sidhi News: लोकसेवा केंद्र बने कमीशनबाजों का अड्डा

Sidhi News: लोकसेवा केंद्र बने कमीशनबाजों का अड्डा

आवश्यक सेवाओं पर वसूली का शिकंजा
सिद्धि जिले में लोकसेवा केंद्र, जहां आम जनता को सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं, अब कमीशनबाजों के चंगुल में फंस चुके हैं। आवश्यक सेवाओं के लिए यहां आने वाले हितग्राहियों से निर्धारित शुल्क से अधिक पैसा वसूला जा रहा है। यह स्थिति न केवल हितग्राहियों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा रही है, बल्कि उन्हें बार-बार चक्कर लगाने के लिए भी मजबूर कर रही है।

सभी सेवाओं पर एक समान शुल्क की वसूली

विकासखंडों में संचालित लोकसेवा केंद्र अब “लूट सेवा केंद्र” के नाम से पहचाने जा रहे हैं। उदाहरण के लिए:

  • आय, मूल निवासी, और जाति प्रमाण पत्र: इनकी फीस मात्र ₹40 है।
  • संशोधन शुल्क: केवल ₹15 होना चाहिए।

लेकिन यहां हर आवेदन के लिए ₹40 तक वसूले जा रहे हैं। यह स्थिति ना केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि जनता के साथ खुलेआम धोखाधड़ी है।

कलेक्टर कार्यालय के पास भी मनमानी

सबसे गंभीर स्थिति यह है कि कलेक्टर कार्यालय के पास स्थित लोकसेवा केंद्रों में भी यही मनमानी जारी है। ब्लॉक मुख्यालयों के केंद्रों की स्थिति और भी बदतर है।

  • शिकायतों के बावजूद अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है।
  • रसीद न देना इन केंद्रों की आम समस्या बन गई है।

हितग्राहियों का दर्द और शिकायतें

एक हितग्राही ने बताया कि संशोधन के लिए जब वह लोकसेवा केंद्र गया, तो उससे ₹15 के स्थान पर ₹40 वसूल किए गए। यह कोई पहला मामला नहीं है। कई हितग्राही यह भी बताते हैं कि पैसे जमा करने के बावजूद रसीद नहीं दी जाती।

शासन और प्रशासन की उदासीनता

हितग्राहियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, लेकिन अब तक इन केंद्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति न केवल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण देने का प्रमाण भी है।

निष्कर्ष

लोकसेवा केंद्रों को आम जनता की सेवा के लिए स्थापित किया गया था, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह भ्रष्टाचार और कमीशनबाजी का केंद्र बन चुके हैं। प्रशासन को तुरंत इन केंद्रों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

सुझाव:

  • सभी सेवाओं के लिए निर्धारित शुल्क सूची को केंद्रों पर प्रदर्शित किया जाए।
  • रसीद अनिवार्य की जाए।
  • अनियमितता पाए जाने पर सख्त दंड दिया जाए।

इस तरह की घटनाएं प्रशासन की छवि को धूमिल करती हैं और जनता का विश्वास कम करती हैं। सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए ठोस कदम उठाना अब अनिवार्य हो गया है।

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