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भारत-पाक व्यापार से शांति संभव: डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान

भारत-पाक व्यापार से शांति संभव: डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान

वाशिंगटन/नई दिल्ली — भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बड़ा बयान सामने आया है। ट्रंप ने कहा है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक रिश्ते बहाल होते हैं, तो यह न केवल दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में मदद करेगा, बल्कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और पाकिस्तान के संबंध काफी लंबे समय से ठंडे पड़े हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध 2019 में पुलवामा हमले के बाद और भी अधिक प्रभावित हुए थे। तब से लेकर अब तक, सीमित राजनयिक संवाद के अलावा दोनों देशों में कोई औपचारिक व्यापार नहीं हो रहा है।
ट्रंप का बयान क्यों है अहम?
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डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक इंटरव्यू में कहा,
“भारत और पाकिस्तान जैसे दो पड़ोसी देशों के बीच व्यापारिक संबंध न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे, बल्कि इससे आपसी समझ और शांति को भी बल मिलेगा।"

ट्रंप ने यह भी कहा कि जब वे राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने कई बार दोनों देशों के नेताओं को वार्ता और शांति प्रक्रिया की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया था। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि इन प्रयासों में कई चुनौतियाँ थीं, लेकिन उनका मानना है कि व्यापार एक ऐसा माध्यम है जो दुश्मनी को भी दोस्ती में बदल सकता है।
भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक संबंध: एक झलक

भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में बंटवारे के बाद से व्यापारिक संबंधों में कई बार उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। 1948 में दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू हुआ था, लेकिन राजनीतिक तनाव के चलते यह संबंध हमेशा अस्थिर बना रहा।

2019 तक भारत पाकिस्तान को कई तरह की वस्तुएं जैसे दवाइयाँ, कपड़ा, केमिकल्स, सीमेंट और फल-सब्जियाँ निर्यात करता था। वहीं पाकिस्तान से भारत में सूखा मेवा, कपास और अन्य वस्तुएं आती थीं। 2018-19 में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था।

लेकिन फरवरी 2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया और पाकिस्तान से आयात पर भारी शुल्क लगा दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारत से व्यापार पूरी तरह बंद कर दिया।
क्या व्यापार से वाकई शांति आ सकती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की बातों में कुछ सच्चाई जरूर है। आर्थिक सहयोग अक्सर राजनीतिक टकराव को कम करने में सहायक साबित होता है। व्यापारिक रिश्तों से न सिर्फ दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है, बल्कि आम लोगों के बीच आपसी समझ भी बढ़ती है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार डॉ. राकेश शर्मा कहते हैं,
"भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी को केवल सैन्य या राजनीतिक तरीकों से नहीं सुलझाया जा सकता। व्यापार और सांस्कृतिक संपर्क शांति की नींव बन सकते हैं। ट्रंप का बयान एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है यदि दोनों देश इसे सकारात्मक रूप में लें।"
भारत की स्थिति

भारत सरकार ने अभी तक ट्रंप के इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि भारत हमेशा से यह कहता आया है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। भारत की यह नीति पुलवामा हमले और उरी हमले के बाद और सख्त हो गई है।

विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
"भारत, पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंधों का पक्षधर है, लेकिन जब तक सीमा पार आतंकवाद जारी रहेगा, तब तक व्यापार या बातचीत की संभावनाएं सीमित ही रहेंगी।"
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने पहले भी कई बार भारत के साथ व्यापार बहाल करने की इच्छा जताई है। 2021 में पाकिस्तान की आर्थिक समिति ने भारत से कपास और चीनी आयात करने की मंजूरी दी थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते यह फैसला वापस ले लिया गया था।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और मौजूदा नेता शाहबाज़ शरीफ भी व्यापार को बहाल करने के पक्षधर रहे हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान की सख्त नीति ने इन कोशिशों को आगे नहीं बढ़ने दिया।
अमेरिका की भूमिका

अमेरिका ने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की दिशा में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश की है। हालांकि भारत हमेशा इस बात पर जोर देता रहा है कि यह द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।

ट्रंप के कार्यकाल में उन्होंने कई बार कहा था कि वे दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैं, लेकिन भारत ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया था। ट्रंप का ताजा बयान इस ओर इशारा करता है कि वह अभी भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं और चाहते हैं कि दक्षिण एशिया में स्थिरता बनी रहे।
निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसे व्यवहार में लाने के लिए कई बाधाओं को पार करना होगा। भारत और पाकिस्तान दोनों को इस दिशा में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। व्यापार एक ऐसा माध्यम बन सकता है जो लंबे समय से बंद पड़ी संवाद की खिड़की को फिर से खोल दे।

हालांकि शांति की राह आसान नहीं है, लेकिन अगर व्यापार को एक पुल की तरह इस्तेमाल किया जाए, तो शायद यह दोनों देशों के बीच स्थायी संबंधों की नींव बन सके। ट्रंप का बयान इसी आशा की एक किरण के रूप में देखा जा सकता है।



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