किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन की क्रांतिकारी पहल
एकीकृत कृषि क्लस्टर से बदल रही है सीधी जिले के किसानों की तस्वीर
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा किसानों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में एक नई पहल शुरू की गई है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी शैलेंद्र सिंह सोलंकी के निर्देशन और जिला परियोजना प्रबंधक पुष्पेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में यह मिशन "आत्मनिर्भर किसान, समृद्ध किसान" के लक्ष्य को साकार करने में जुटा है।
एकीकृत कृषि क्लस्टर: किसानों के लिए नया मॉडल
जिले में तीन से चार गांवों के किसानों को एक साथ जोड़कर एकीकृत कृषि क्लस्टर का गठन किया जा रहा है। इस अनूठी पहल के माध्यम से किसानों को कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और कृषि विभाग के सहयोग से आधुनिक खेती की तकनीकें सिखाई जा रही हैं।
इन क्लस्टरों में किसानों को प्राकृतिक खेती, पशुपालन और उद्यानिकी को एक साथ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे खेती की लागत घटे और आय में लगातार वृद्धि हो सके।
कृषि विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
कृषि विज्ञान केंद्र के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए मिट्टी परीक्षण की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान को अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करानी चाहिए और उसी के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। डॉ. सिंह ने जैविक खाद और कीटनाशक के अधिकतम उपयोग तथा अंतरफसली खेती को बढ़ावा देने की सलाह दी।
व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम
आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक अजय सिंह, विकासखण्ड प्रबंधक अशोक पांडेय और सहायक प्रबंधक मनोज मिश्रा ने किसानों को निम्नलिखित विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की:
- पशुपालन का विस्तार और डेयरी व्यवसाय में वृद्धि के तरीके
- फसल बीमा योजनाओं की संपूर्ण जानकारी
- दलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि के उपाय
- घर में उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग
महिला सशक्तिकरण: जैविक संसाधन केंद्र
कार्यक्रम में कृषि सखी आरती सिंह ने एकीकृत कृषि क्लस्टर के अंतर्गत संचालित जैविक संसाधन केंद्र में महिलाओं द्वारा तैयार जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। इस केंद्र में महिलाएं स्वयं जैविक खाद, कीटनाशक और अन्य कृषि सामग्री तैयार कर रही हैं, जो न केवल रासायनिक उर्वरकों का बेहतर विकल्प है बल्कि महिलाओं के लिए आय का साधन भी बन रहा है।
प्राकृतिक खेती: भविष्य की कृषि
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को घर में उपलब्ध संसाधनों जैसे गोबर, गोमूत्र, फसल अवशेष आदि के उपयोग की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह पद्धति न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि लागत में भी काफी कमी लाती है।
आगे की योजना
आजीविका मिशन द्वारा आगामी दिनों में भी एकीकृत कृषि क्लस्टरों के माध्यम से किसानों को निरंतर प्रशिक्षण देने की योजना है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को इतना सशक्त बनाना है कि वे आत्मनिर्भर होकर सतत आजीविका के स्रोत विकसित कर सकें।
मुख्य लाभ
यह पहल किसानों को निम्नलिखित लाभ प्रदान कर रही है:
- कम लागत, अधिक आय: प्राकृतिक खेती और जैविक उत्पादों के उपयोग से खेती की लागत में कमी
- विशेषज्ञ मार्गदर्शन: कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से सीधा संपर्क
- समूह की शक्ति: क्लस्टर मॉडल से किसानों में सामूहिक शक्ति और आत्मविश्वास
- एकीकृत दृष्टिकोण: खेती, पशुपालन और उद्यानिकी का समन्वित विकास
- सरकारी योजनाओं तक पहुंच: फसल बीमा और अन्य योजनाओं की जानकारी
मध्य प्रदेश सरकार की यह पहल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। एकीकृत कृषि क्लस्टर मॉडल न केवल सीधी जिले बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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