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भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक समझौता

भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक समझौता, शांति और सहयोग की नई राह खुली

तारीख: 11 मई 2025 | स्थान: नई दिल्ली/इस्लामाबाद 
दशकों बाद दोनों देशों के संबंधों में आई बड़ी नरमी:- भारत और पाकिस्तान ने लंबे समय से चल रहे तनावपूर्ण संबंधों को पीछे छोड़ते हुए 10 मई 2025 को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता मुख्य रूप सेसीमा शांति, जल बंटवारा, सीमावर्ती व्यापार और जनसंपर्क को बढ़ावा देने जैसे अहम मुद्दों पर केंद्रित है।

यह समझौता इस दिशा में एक नई शुरुआत है, जिसमें दोनों देशों ने शांति और स्थायित्व के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने का फैसला लिया है।

समझौते की मुख्य बातें

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1. संघर्ष विराम की पुष्टि:
एलओसी पर लगातार हो रही झड़पों को रोकने के लिए दोनों देशों ने पूर्ण संघर्ष विराम की पुष्टि की। अब हर छह महीने में सैनिक स्तर की बैठकें भी होंगी।

2. सीमावर्ती व्यापार की बहाली:
मुजफ्फराबाद-श्रीनगर और करतारपुर मार्ग से सीमित व्यापार को फिर से शुरू किया जाएगा। इससे स्थानीय व्यापारियों और ग्रामीण इलाकों को फायदा मिलेगा।

3. जल बंटवारे पर सहमति:
सिंधु जल संधि पर उत्पन्न विवादों को सुलझाने के लिए एक संयुक्त जल समिति गठित की गई है, जो हर तीन महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

4. सांस्कृतिक और जनसंपर्क सहयोग:
दोनों देशों के पत्रकारों, कलाकारों और छात्रों के लिए विशेष वीज़ा सुविधा शुरू की जाएगी।

 समझौते के पीछे के कारण

1. सीमा पर तनाव और नुकसान:
लगातार गोलीबारी से दोनों देशों को जान-माल का नुकसान हो रहा था। इससे आम नागरिकों में डर और अस्थिरता का माहौल बन रहा था।

2. वैश्विक दबाव और आर्थिक हालात:
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और खाड़ी देशों ने दोनों पक्षों पर संवाद का दबाव बनाया। आर्थिक स्थिति भी समझौते की ओर धकेलने वाला प्रमुख कारण बनी।

3. जलवायु संकट:
जल संकट और बदलते मौसम के कारण पानी की उपलब्धता को लेकर टकराव की आशंका बढ़ रही थी।

4. जनता की मांग:
भारत और पाकिस्तान के युवाओं आम नागरिकों में शांति, व्यापार और रोज़गार के प्रति ज़्यादा रुचि है, युद्ध की नहीं।

 नेताओं की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा:"शांति और सहयोग ही भविष्य का रास्ता है। यह समझौता विकास की नींव रखेगा।"

प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ बोले"में अपनी भावी पीढ़ी को युद्ध नहीं, दोस्ती और तरक्की की सौगात देनी चाहिए।"

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